हिंदी
मैं मजबूत हिमालय सी, मैं सदा चंचला कोशी हूँ
मैं जल जैसी हूँ घुलनशील, पर निर्मलता की दोषी हूँ
मैं जल जैसी हूँ घुलनशील, पर निर्मलता की दोषी हूँ
मैं गंगा सी हूँ पवित्र और मैं यमुना सी काली हूँ
मैं मर्यादित इन नदियों सी, अब इन जैसी ही मैली हूँ
बंगाल, असम वा हरयाणा, महाराष्ट्र, कश्मीर, तेलंगाना
मुझमें घुलती हर भाषाएं, हर रंग में ही मैं निराली हूँ
मैं मर्यादित इन नदियों सी, अब इन जैसी ही मैली हूँ
बंगाल, असम वा हरयाणा, महाराष्ट्र, कश्मीर, तेलंगाना
मुझमें घुलती हर भाषाएं, हर रंग में ही मैं निराली हूँ
शुद्ध-अशुद्ध शब्दों, व्याकरणों से परे मेरी पहचान है
मैं भाषा के माथे की बिंदी, मैं हिंदुस्तान की हिंदी हूँ
मैं भाषा के माथे की बिंदी, मैं हिंदुस्तान की हिंदी हूँ
"अखिल"
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