मिट्टी



मिट्टी में पलने वाले , मिट्टी में ही घुलने वाले,
काली -स्याह अंतर्मन रख , चका -चौंध में जीने वाले ..
नरम , सौंधी खुशबू वाली, मिट्टी को ही धुलते हैं ।

ये धरा है , वसुंधरा है , सबको सबकुछ देती है
जब थक जाये , बोझ उठाये , जीवन पे मिटने वाले ,
अंत कब्र हो , या जली चिता हो , मिट्टी में ही ढलते हैं 


-- अखिल 

Comments

Popular posts from this blog

बामपंथी पत्रकार और चीन

गुनाह मेरा है , वो गुनाह मैं तुमपर थोपता हूँ