एक अध्याय कहीं जीवन भर का बस एक पन्ने में सिमटेगा
क्षितिज अनन्त जो लक्ष्य तेरा, तो जीवन भर ही चलना है
कुछ छोड़ना है, कुछ तोडना है, कुछ जीवन भर संजोना है
बढ़कर रोकेंगी निष्ठाएं, फिर भ्रमित करेंगे वचन असत्य
मृगतृष्णा सा छल से, पथ-विमुख तुझे फिर कर देगा
सहसा खींचेगी जड़ें तुझे, बारहा सुकून दस्तक देगा
पथ पे आते इन बाधाओं को विश्वास स्वयं का भेदेगा
कुछ छूटेगा, कुछ टूटेगा, कुछ यादों में भी लिपटेगा
एक अध्याय कहीं जीवन भर का बस एक पन्ने में सिमटेगा
अखिल
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