बामपंथी पत्रकार और चीन

वो पूरब में तेरा बिरादर है,
वो जो खाता चमगादड़ है
उसकी लाठी और भैंस हो तुम
वो तुम सबका ही फादर है

जो छली है आतुर और कादर है
तेरे मन में क्यूं उसका आदर है?
वो विस्तारवादी और गुलाम हो तुम
उसकी रक्त से रंजीत चादर है

बिल्ली, कुत्ते, गधे, घोड़े
किस नस्ल को खाए? किसे छोड़े?
वो मनुष्य भी तो खा जाता है
निर्लज्ज ना कभी लजाता है

तुम गिद्ध हो पलते लाशों पे
तुम प्राणी हो दुर्जन योनि के
बामपंथी अभिशाप हो तुम
हो माओ, मार्क्स या लेनिन के

उसकी डुगडुगी बजाते हो
बेशर्म हो ना शर्माते हो
लाखों को लील गया जो खल
तुम गीत उसी के गाते हो

बिकते हो तुम नोटों में,
पर क्रान्ति क्रान्ति चिल्लाते हो
अर्धसत्य का ढोल पीट पीट,
बस भ्रांति भ्रांति फैलाते हो

वो जो तेरा बिरादर है,
वो जो खाता चमगादड़ है
वो जो छली, आतुर और कादर है
वो ही तुम सबका फादर है

"अखिल"


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