कहाँ छुपा है वो बिहार
अतीत के गर्त में या इतिहास के पर्त में
चलो ढूंढें मिलके हम, के है कहाँ छुपा बिहार
कहीं से ढूंढ लाएं हम, फिर एक कौटिल्य को
के आर्थिक प्रगति में कहीं पिछड़ गया बिहार
नालंदा के जीर्ण ध्वंश से उठे समर का बीज वो
जो ज्ञान के प्रकाश से करे नष्ट अन्धकार
जातियों की बेड़ियाँ जकड चुकी हैं रूह को
राग-द्वेष दीनता का मच रहा है हाहाकार
फिर से चंद्रगुप्त एक चाहिए प्रदेश को
जो जोड़कर हमें करे वैमनस्यता पर प्रहार
वर्धमान और बुद्ध का, वीर कुंवर के युद्ध का
यात्री और दिनकर का, अशोक, पाटलिपुत्र का
जननायकों की धरती पे अकाल है नायकों का
भीष्म सा छलनी पड़ा, शूरवीर कर्ण का बिहार
बिहारियों का प्रण रहे, समय पलट के लाएंगे
विश्व के पटल पे फिर से, बुद्ध मुस्कुरायेंगे
हो अतीत के गर्त में या इतिहास के पर्त में
मिलके हम निकालेंगे, जहाँ छुपा है वो बिहार
"अखिल"
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