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Showing posts from October, 2015

बंटवारा

धरम पे बांटूं, जात पे बाटूं, रंग-रूप, औकात पे बांटूं बात बात पे देश को बांटूं, दान और जकात पे बांटूं हिंदी तेरा, उर्दू तेरा, कन्नड़-तमिल-तेलगु पे बांटूं हिन्द के बच्चे कहाँ रहे तुम, तुम को तो मैं भाष पे बांटूं गीता-क़ुरान, बाइबिल-पुराण, ईद -दिवाली, गीत-कव्वाली, संस्कृत से संस्कृति तक को, खेल-कूद, त्यौहार को बांटूं गाय, बकरी, सूवर, पिल्ले, जानवरों पे इंसान को बांटूं इंसानों की क्या औकात मेरे आगे? हरा, सफ़ेद, केसरिया, नीला,  रंगों पे भगवान को बांटूं "अखिल"

कहाँ छुपा है वो बिहार

अतीत के गर्त में या इतिहास के पर्त में चलो ढूंढें मिलके हम, के है कहाँ छुपा बिहार कहीं से ढूंढ  लाएं हम, फिर एक  कौटिल्य को के आर्थिक प्रगति में कहीं पिछड़ गया बिहार नालंदा के जीर्ण ध्वंश से उठे समर का बीज वो जो ज्ञान के प्रकाश से करे नष्ट अन्धकार जातियों की बेड़ियाँ जकड चुकी हैं रूह को राग-द्वेष दीनता का मच रहा है हाहाकार फिर से चंद्रगुप्त एक चाहिए प्रदेश को जो जोड़कर हमें करे वैमनस्यता पर प्रहार वर्धमान और बुद्ध का, वीर कुंवर के युद्ध का यात्री और  दिनकर का, अशोक, पाटलिपुत्र का    जननायकों की धरती पे अकाल है नायकों का भीष्म सा छलनी पड़ा, शूरवीर कर्ण का बिहार बिहारियों का प्रण रहे, समय पलट के लाएंगे विश्व के पटल पे फिर से, बुद्ध मुस्कुरायेंगे हो अतीत के गर्त में या इतिहास के पर्त में मिलके हम निकालेंगे, जहाँ छुपा है वो बिहार "अखिल"

राजनीति

मुर्दों की, मुआवजों की, हराम और रायज़ादों की, खेल है सुकून का, ठन्डे पड़े खून का, बोलियाँ लगाते हुए गरीबों की लाश की, राजनीति बिसात है, .... मरते ज़मीर पर उठते जूनून का "अखिल"

तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है

अगर अजान या घंटियों की आवाज़ें आपको असह्य लगे, तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है। अगर अपने पडोसी को बचाने में आपको हिचकिचाहट है, तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है। गाय, कुत्ते, सूवर, बकरे पर आप वाद-विवाद कर रहे हैं, तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है। इंसानियत से बड़ा मजहब अगर आपको कुछ और लग रहा है तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है। इंसानों को मारने का हक़ आपको जायज़ लग रहा है, तो समझ लीजिये आपको कोई न कोई तो बरगला रहा है। हो सके तो बचिए इन गिद्धों से, क्यूंकि आपको लड़ाकर, वो अपने, बस अपने भोज का इंतज़ाम कर रहा है। "अखिल"