डर और डरपोक
कुछ डरपोक हैं, गजब के डरपोक हैं डर गए तलवार से तो धर्म छोड़ दी। डर गए अपनो से तो देश तोड़ दी। डर गए शिक्षा से तो बम फोड़ दी। डर गए न्याय से तो कानून मड़ोड दी। कुछ डरपोक हैं, बेशर्म डरपोक हैं डर गए कार्टून से तो गोली चला दी। डर गए भक्तों से तो ट्रेन जला दी। डर गए संस्कृति से तो नींव हिला दी। डर गए रोग से तो जूठन खिला दी। कुछ डरपोक हैं, ढीठ डरपोक हैं डर गए लड़की से तो तेज़ाब फेंक दी। डर गए सतायों से तो सड़क छेक दी। डर गए जीवाणु से तो थूक, छींक दी। डर गए डॉक्टरों से तो उन्हें पीट दी। कुछ डरपोक हैं, मगर कैसे डरपोक हैं?