बंजारा
घरौंदे है ना आशियां, के मैं हूँ एक बंजारा भटकती राह है मंज़िल, के मैं हूँ एक आवारा दूर चलता हूँ हदों से, सरहदों से, और किनारों से ठहरता हूँ मैं बस बहते हुए, बहती नदी का हूँ धारा यादें लेकर, यादें देकर, ठहरे पलों की पोटली बांधे बढ़ चला संदेशे लेकर, मैं हूँ एक हलकारा घरौंदा है ना आशियां, के मैं हूँ एक बंजारा भटकती राह है मंज़िल, के मैं हूँ एक बंजारा अखिल